Kanta Mehandiratta, H.No.465, Sector-23, Faridabad

 

मृत्युशैया से भी जो वापस खींच लाये प्राण ऐसी रेकी शक्ति को शत-शत प्रणाम

मैं कान्ता मेहंदीरत्ता फरीदाबाद से हूँ। मैं 65 वर्ष की वरिष्ठ महिला हूँ। यहाँ मैं इस लेख के द्वारा आप लोगों से अपनी रेकी विद्या का अनुभव बता रही हूँ। मुझे उसुई रेकी फाउंडेशन से रेकी सीखे हुए 3 साल हो गए हैं, शुरू से ही मैं अपने अच्छे स्वास्थ्य के लिए स्वयं की रेकी करती आ रही हूँ और रेकी करने से अब मेरी तबियत पहले से ज्यादा स्वस्थ और ठीक रहने लगी है। मेरे परिवार में मेरी दोनो बहुओं ने भी रेकी गुरु रूपा बरनवाल से रेकी सीखी है। अभी कुछ समय से मैं अपनी एक सहेली की सामूहिक रेकी उपचार अपनी बहुओं के साथ मिलकर कर रही थी जो 75 वर्ष की हैं और जिनका नाम सुजाता जैन है जो कि स्वयं का स्कूल भी चलाती हैं, कुछ महीनों से उनकी तबियत काफी ज्यादा ख़राब हो रही थी तथा डॉक्टरों ने भी जवाब दे दिया था तभी उनको मैंने कुछ दिन ग्रुप रेकी का उपचार दिया जिससे वह दोबारा स्वस्थ हो गयी और फिर से अपनी ज़िन्दगी नार्मल तरीके से जीने लगी और उन्होंने रेकी विद्या को और उस पुरे ग्रुप को धन्यवाद दिया जिन्होंने उनके लिए ग्रुप रेकी हीलिंग की थी। बस अंत में इतना ही कहना चाहूंगी कि रेकी एक ऐसी विद्या है ऐसा उपचार है जो कि मृत व्यक्ति में भी प्राण फूंक सकता है।

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